गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण आज रवि बहुत दुखी था, मन उदास हो गया था। माँ की अभी दो दिन पहले ही मृत्यु हुई थी और उनको याद करके आँसू थम नहीं रहे थे। आँसू तो आज तीन साल के बाद भी माँ की फोटो दिखते ही बहना शुरू हो जाते हैं। माँ के ख्यालों मे खोया हुआ था कि परिवार वालों ने गरुड पुराण के लिए पंडित बुला कर कल से ही पाठ कि शुरू करने को कह दिया गया, अचानक मुझे बहुत जोर का करंट लगा कि जिस माँ ने अपना पूरा जीवन इन मिथ्या कर्म कांड क्रियाओं के विरोध मे लगा दिया और अपने पति की मृत्यु पर उनकी आत्मा की शांति के लिए आर्य समाज से पुरोहित बुला कर घर मे ही सात दिन तक हवन यज्ञ करवाया, उन्ही के जाने के बाद उनके ही आदर्शों के विरुद्ध गरुड पुराण का पाठ हो रहा है। रवि ने पुरजोर इसका विरोध किया परंतु परिवार के अन्य सदस्यों की दलीलों के आगे कुछ न बोल सका। एक भतीजा तो यह कह रहा था कि यदि गरुड पुराण का पाठ न करवाया तो एक वर्ष के अंदर परिवार के किसी भी सदस्य कि आकस्मिक मृत्यु भी हो सकती है, यह सुन कर तो परिवार के अन्य सदस्यों ने भी उसका पक्ष लेते हुए गरुड पुराण का पाठ करवाने की सहमति दे दी। अब